बाबा विश्वनाथ के स्वर्णमंडित गर्भगृह की आभा देख अभिभूत हुए प्रधानमंत्री, कहा- अकल्पनीय है ये दृश्य



बाबा विश्वनाथ के स्वर्णमंडित गर्भगृह की आभा देख अभिभूत हुए प्रधानमंत्री, कहा- अकल्पनीय है ये दृश्य




वाराणसी। द्वादश ज्योतिर्लिगों में से एक श्री काशी विश्वनाथ का मंदिर अब नीचे से ऊपर तक सोने से चमक उठा है। मंदिर में शिखर के स्वर्ण मंडित होने के 187 साल बाद बाबा का गर्भगृह भी अब पूरी तरह से स्वर्ण मंडित हो गया है। मंदिर के गर्भ गृह में चल रहे स्वर्ण मंडन के कार्य के पूर्ण होने के बाद रविवार को पहली बार पूजा करने पहुंचे प्रधानमंत्री ने इस कार्य को देखते हुए कहा कि अद्भुत और अकल्पनीय कार्य हुआ है। 

स्वर्ण मंडन के बाद गर्भगृह की आभा कई गुना बढ़ गई
 दर्शन- पूजन के बाद प्रधानमंत्री ने परिसर के अंदर चारों ओर लगे स्वर्ण के कार्य को देखा। उन्होंने कहा कि दीवारों पर उकेरी गई विभिन्न देवताओं की आकृतियां स्वर्णमंडन के बाद और भी स्पष्ट प्रदर्शित हो रही हैं। स्वर्ण मंडन के बाद गर्भगृह की आभा कई गुना बढ़ गई है।मंदिर प्रशासन के अनुसार, गर्भ गृह में 37 किलो सोना लगाया गया है। बचे अन्य कार्यों में 23 किलो और सोना लगाया जाएगा। इस काम के लिए विशेष विशेषज्ञों की पूरी टीम गुजरात से गर्भगृह को स्वर्ण से सजाने के लिए बुलाई गई थी। पीली रोशनी श्रद्धालुओं को कर रही सम्मोहित
 सोना लगने के बाद गर्भगृह के अंदर की पीली रोशनी हर किसी को सम्मोहित कर रही है। महाशिवरात्रि से पहले बाबा विश्वनाथ के गर्भगृह को स्वर्ण मंडित करने के बाद भक्तों को यहां पर एक और अद्भुत रूप देखने को मिलेगा। 

बाबा के भक्त ने गर्भगृह में सोना लगवाने की जताई इच्छा
 काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के साथ ही मंदिर के शेष हिस्से व गर्भगृह को स्वर्णजड़ित करने की कार्ययोजना तैयार होने लगी थी। इसी दौरान करीब डेढ़ माह पूर्व बाबा के एक भक्त ने मंदिर के अंदर सोने लगवाने की इच्छा जतायी। मंदिर प्रशासन की अनुमति मिलने के बाद सोना लगाने के लिए माप और सांचा की तैयारी चल रही थी। करीब माहभर तैयारी के बाद शुक्रवार को सोना लगाने का काम शुरू हुआ।महारजा रणजीत सिंह ने दो शिखरों पर लगवाया था सोना
 काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा साल 1780 में कराया गया। बाद में पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने विश्वनाथ मंदिर के दो शिखरों को स्वर्णमंडित कराया था। बताया जाता है कि साढ़े 22 मन सोना लगाया गया था। उसके बाद कई बार सोना लगाने व उसकी सफाई का कार्य प्रस्तावित हुआ, लेकिन कार्य आगे न बढ़ सका।

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